पड़ी थी जो कई सालों से ,बंजर गली
आज उस पर,रोड बन ही गयी।
आते थे कई नेता ,कई वादे भी करते थे
पर होता कुछ नही था,न जाने
कहा से नेताजी की ,मेहरबानी हो गई
कि आज रोड ,बन ही गयी।
जो घर के बाहर, की बदसूरती थी
वही आज घर ,आँगन की रौनक सी बन गई
क्योंकि आज रोड ,बन ही गयी।
बच्चो में भी ,बड़ी खुशी नजर आ रही है
आज शाम से ही सारे देखो ,शोर मचा ही रहे है
कोई घर जाने को तैयार नही,रोड पर ही
सारे नजर आ रहे है,कही क्रिकेट तो कही
फुटबॉल नजर आ रही है,तो कही
छोटी-छोटी साइकिलों की रेस लगाई
जा रही है,क्योंकि आज कंकर पत्थर नही
सरपट रोड दिखाई, दे रही है।
क्योंकि आज रोड बन ही गयी ।
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