Thursday, May 31, 2018

ज्ञान का दीपक





इस अंधेरे सन्नाटे में,
ज्ञान का दीप दिखाई नहीं देता।
समुद्र इतना गहरा हैं,
किनारा दिखाई नहीं देता।
इस अंधेर सन्नाटे में,
ज्ञान का कोई दीप दिखाई नहीं देता।
ज्ञान का दीप खोजने निकली हूँ,
चारों तरफ रेत ही रेत है ,
पर रेत में पड़ी सीप का मोती दिखाई नहीं देता।
इस अंधेरे सन्नाटे में,
ज्ञान का कोई दीप दिखाई नहीं देता।
खुले आसमान में चाँदनी बिखरी हैं,
पर चाँद दिखाई नहीं देता।
इस अंधेरे सन्नाटे में,
ज्ञान का कोई दीप दिखाई नहीं देता।
बागों में गई, बगीचों में घूमी ,
पेड़ -पौधे ,कांटे मिले और,
खूशबू तो दूर दूर तक बिखरी हैं,
पर फूल दिखाई नहीं देता।
इस अंधेरे सन्नाटे में,
ज्ञान का कोई दीप दिखाई नहीं देता।


No comments:

Post a Comment