- आइना कभी झूठ बोलता नहीं,
- आइना कहता है सब ,पर कोई सुनता नहीं।
- बचपन की कहानी कहता है,
- तो कहीं जवानी की रवानी में बहता है।
- फिर भी आइना सही कहता है,
- बुढ़ापा आ जाता है ,और जमाना चला जाता है।
- लेकिन आइना कभी झूठ बोलता नहीं,
- दुनिया बदल जाती है ,पर आइना बदलता नहीं ।आइना कभी झूठ बोलता नहीं।
Saturday, June 2, 2018
आइना
Thursday, May 31, 2018
ज्ञान का दीपक
इस अंधेरे सन्नाटे में,
ज्ञान का दीप दिखाई नहीं देता।
समुद्र इतना गहरा हैं,
किनारा दिखाई नहीं देता।
इस अंधेर सन्नाटे में,
ज्ञान का कोई दीप दिखाई नहीं देता।
ज्ञान का दीप खोजने निकली हूँ,
चारों तरफ रेत ही रेत है ,
पर रेत में पड़ी सीप का मोती दिखाई नहीं देता।
इस अंधेरे सन्नाटे में,
ज्ञान का कोई दीप दिखाई नहीं देता।
खुले आसमान में चाँदनी बिखरी हैं,
पर चाँद दिखाई नहीं देता।
इस अंधेरे सन्नाटे में,
ज्ञान का कोई दीप दिखाई नहीं देता।
बागों में गई, बगीचों में घूमी ,
पेड़ -पौधे ,कांटे मिले और,
खूशबू तो दूर दूर तक बिखरी हैं,
पर फूल दिखाई नहीं देता।
इस अंधेरे सन्नाटे में,
ज्ञान का कोई दीप दिखाई नहीं देता।
ज्ञान का दीप दिखाई नहीं देता।
समुद्र इतना गहरा हैं,
किनारा दिखाई नहीं देता।
इस अंधेर सन्नाटे में,
ज्ञान का कोई दीप दिखाई नहीं देता।
ज्ञान का दीप खोजने निकली हूँ,
चारों तरफ रेत ही रेत है ,
पर रेत में पड़ी सीप का मोती दिखाई नहीं देता।
इस अंधेरे सन्नाटे में,
ज्ञान का कोई दीप दिखाई नहीं देता।
खुले आसमान में चाँदनी बिखरी हैं,
पर चाँद दिखाई नहीं देता।
इस अंधेरे सन्नाटे में,
ज्ञान का कोई दीप दिखाई नहीं देता।
बागों में गई, बगीचों में घूमी ,
पेड़ -पौधे ,कांटे मिले और,
खूशबू तो दूर दूर तक बिखरी हैं,
पर फूल दिखाई नहीं देता।
इस अंधेरे सन्नाटे में,
ज्ञान का कोई दीप दिखाई नहीं देता।
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